Hindi Kahani Sajjanta | सज्जनता
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सज्जनता
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एक सियार बहुत भूखा था। उसे दो दिन से भोजन नहीं मिला था। वह भोजन की तलाश में भटक रहा था। चलते-चलते अचानक वह एक गड्ढे में जा गिरा। उस गड्ढे में कीचड़ भरा हुआ था और उस पर घास पत्ते आदि पड़े हुए थे। उस गड्ढे में गिरते ही सियार कीचड़ में फंस गया और बहुत जोरों से चिल्लाने लगा।
सियार की दहाड़ सुनकर एक गाय वहां आई। सियार गाय से नम्र स्वभाव में बोला -दीदी। क्या तुम्हें भूख लगी है ? गाय बोली – हां मैं भूखी हूं। सियार बोला तो तुम यहां क्यों नहीं आ जाती। देखो कितनी हरी हरी घास उगी हुई है। सियार की बात सुनकर गाय गड्ढे में कूद गई। सियार तुरंत ही गाय की पीठ पर आ गया और फिर एक झटके से बाहर निकल गया।
बाहर आकर सियार बोला। ओ मूर्ख गाय इतनी जल्दी किसी की बातों पर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए। गाय ने कहा तुम नहीं जानते कि किसी को भी अपनी सज्जनता नहीं छोड़नी चाहिए। हमें हमेशा दूसरों की सहायता करने के लिए तैयार रहना चाहिए। यदि तुम यहां रहते तो मर जाते। क्योंकि तुम्हारी सहायता तुम्हारे अवगुणों के कारण कोई नहीं करता।
लेकिन मैं तो सभी को मीठा गुणकारी दूध देती हूं। दूध के लिए मुझे कोई भी बाहर निकाल लेगा। वैसे तुम्हारी चलाकी तो मैं पहले ही समझ गई थी। फिर भी आदत से मजबूर मैंने स्वयं मुसीबत मोल लेकर तुम्हारी मदद की। लेकिन तुम मेरी चिंता मत करो। यह सुनकर सियार शर्मिंदा होकर वहां से चला गया। कुछ समय बाद ही वहां दो गवाले आ गए।
उन्होंने गाय को गड्ढे में से फंसे देखा तो तुरंत बाहर निकाल लिया और घर ले गए। तो इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपनी सज्जनता नहीं छोड़नी चाहिए।
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