Hindi Kahani Irshya Ka Phal | ईर्ष्या का फल

ईर्ष्या का फल

Hindi Kahani Irshya Ka Phal

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तालाब में बहुत सारे मेंढक रहते थे। उन सब मेंढक को का मुखिया बहुत ही सज्जन था। लेकिन उन बैठकों में चमकू मेंढक बहुत चालाक था। वह मुखिया मेंढक से बहुत जलता था। वह मुखिया मेंढक को मारकर स्वयं मुखिया बनना चाहता था। चमकू मेंढक मुखिया को अपनी ताकत से नहीं मार सकता था। मुखिया से सभी मेंढक बहुत प्यार करते थे।

एक दिन चमकू मेंढक घूमता हुआ पास के एक जंगल में चला गया। तभी एक सांप उस पर झपटा। सांप को देखकर चमकू घबरा गया लेकिन तभी वह संभल कर बोला। अरे भाई मुझे क्यों मार कर खाते हो। मेरी बात सुनो। मैं तुम्हें ऐसी जगह ले चलता हूं। जहां तुम्हें सैकड़ों मेंढक खाने को मिल सकते हैं। चमकू की बात सुनकर सांप को लालच आ गया।

सांप चमकू के साथ तालाब के पास पहुंचा। चमकू ने सांप से कहा देखो इस तालाब में सैकड़ों मेंढक रहते हैं। मैं तुम्हारे लिए रोज एक मेंढक को अपने साथ लाऊंगा तुम उस मेंढक को मारकर खा जाना। सांप ने चमकू की बात मान ली। सांप वहां एक पेड़ के नीचे बिल में छुप कर बैठ गया।

चमकू अगले दिन सुबह एक मेंढक को साथ लेकर वहां आया तभी सांप ने झपट कर उसको पकड़ लिया और पलक झपकते ही निकल गया। अगले दिन फिर एक दूसरे मेंढक को साथ लेकर आया और सांप उसे भी निकल गया। एक-एक करके चमकू ने आधे से अधिक मेंढक सांप के शिकार बनवा दिए।

एक दिन जब सारे मेंढक समाप्त हो गए तो चमकू ने मुखिया मेंढक को भी सांप का शिकार बनवा दिया। जब सारे मेंढक समाप्त हो गए तो सांप चमकू के बेटे को निकल गया। अपने बेटे की मौत से बहुत दुखी हुआ। लेकिन उस भयंकर सांप के सामने वह कर भी क्या सकता था। एक दिन सांप ने चमकू को ही पकड़ लिया।

चमकू ने सांप से कहा मैंने तुम्हें इतने मेंढको का शिकार कराया अब तुम मुझे भी खाना चाहते हो ? यह तो गलत बात है। मुझे बहुत जोर से भूख लगी है। अब तो तुम्हें ही खा कर पेट भरना होगा। चमकू अपने फैलाए जाल में फंस चुका था। अब वह मरता क्या करता। सांप उसे भी निकल गया।

किसी ने सच ही कहा है कि जो व्यक्ति अपने लोगों को धोखा देता है। एक दिन उसके साथ भी धोखा होता है। चमकू अपने परिवार के साथियों को समाप्त करवा देने के बावजूद खुद भी ना बच सका और उसे अपने भी प्राणों से हाथ धोना पड़ा।

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