Hindi Kahani Kenchuye Se Admi Tak | केंचुए से आदमी तक

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केंचुए से आदमी तक

एक खेत में केंचुआ रहता था। वह खेत की मिट्टी खाकर अपना पेट भरता था। उसने कभी किसी को हानि नहीं पहुंचाई। एक दिन उधर से एक मेंढक निकला। उसने केंचुए को मिट्टी में रेंगते देखा तो उसने सोचा बड़ा मुलायम है यह तो। इसे खाया जा सकता है। यह सोचकर मेंढक केंचुए के पास पहुंचा और बोला। क्यों रे शैतान, तू खेत का सत्यानाश क्यों कर रहा है ?

सारे खेत की मिट्टी इस तरह खा जाएगा तो किसान अनाज कहां बोयेगा ? केंचुए ने अपना बिना हड्डी का शरीर मोड़ कर पीछे देखा और नम्रता से कहा। अरे भाई मैं तो थोड़ी सी मिट्टी खाता हूं। उसके बदले में उतनी ही खाद मैं इस खेत में छोड़ता हूं और मिट्टी को उपजाऊ बनाता हूं। मेंढक को केंचुए का जवाब नहीं उसका शरीर चाहिए था।

इसलिए लपक कर केंचुए को निगलना आरंभ किया और दो-चार झटके में उसे पेट के हवाले कर दिया। वहीं खेत में एक बिल भी था। एक सांप मेंढक की यह करतूत देख रहा था। उसने मेंढक को मोज से फुदकते देखा तो उसका मन ललचाया। फुंकार मारता हुआ वह बिल में से निकला और बोला। अरे अत्याचारी तूने उस कमजोर केंचुए को निगल लिया।

उसने तेरा क्या बिगाड़ा था ? ठहर मैं इस मामले का न्याय करूंगा। मेंढक उत्तर देने वाला ही था कि सांप ने उसे निगलकर मामले का फैसला कर दिया। खेत के पास ही एक मोर नाच रहा था। उसने सांप को देख लिया। सांप बिल में घुसने ही वाला था कि मोर ने उसे रोक लिया। जाते कहां हो ? बेचारे मेंढक को क्यों निगल लिया ? क्या यही तुम्हारा न्याय है ?

वह बरसात में सुंदर लय में टेर लाकर हम सबका मन बहलाता था। तुमने उसे ही खा लिया। यह कहकर मोर ने सांप पर चोंच से वार कर उसे अधमरा कर दिया और धीरे-धीरे उसे निगल गया। सांप निगल कर मोर आनंद से खेत में नाचने लगा। उसे देखकर एक किसान बड़ा प्रसन्न हुआ और जाल डालकर मोर को पकड़ लिया। मोर को लेकर किसान शहर बेचने चल पड़ा।

मार्ग में एक घना जंगल पड़ता था। किसान को अकेला देख कर शेर ने दहाड़ मारी। जिससे जंगल गूंज उठा। शेर की आवाज सुनकर मोर मेंयो मेंयो करने लगा। किसान भी चिल्लाया मुझे बचाओ। जंगल में कुछ लकड़हारे लकड़ी काट रहे थे। शोर सुनकर वे भाग कर आ गए और उन्होंने शेर को भगा दिया। किसान ने उनका धन्यवाद किया और मोर लेकर चलने लगा।

लकड़हारों ने उससे पूछा इस मोर को कहां लिए जा रहे हो ? किसान बोला मैं इसे शहर में किसी को बेच दूंगा। लकड़हारे बोले इसने तुम्हारी जान बचाई है। तुम इसे मौत के मुंह में देने जा रहे हो। यह तो जंगल की शोभा है इसे छोड़ दो। किसान उनकी बात मान गया। उसने सोचा अपने थोड़े से लालच के लिए किसी की आजादी नहीं छीननी चाहिए और उसने अपने हाथों से मोर को आजाद कर दिया।

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