Hindi Kahani Nahi Chahiye Aisa Uphar | नहीं चाहिए ऐसा उपहार

नहीं चाहिए ऐसा उपहार

Hindi Kahani Nahi Chahiye Aisa Uphar

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रोहित और रवि दोस्त थे। दोनों की एक-एक बहन थी। दोनों ही अपनी-अपनी बहनों से छोटे भी थे। रोहित एक साधारण परिवार से था। जबकि रवि एक धनवान परिवार से था। एक दिन रवि रोहित को लेकर खिलौनों के एक बड़े शोरूम में गया। रवि ने रोहित को बता दिया था कि उसने अपनी दीदी प्रोमिला के जन्मदिन पर उपहार खरीदना है।

रोहित रवि के साथ इतने बड़े शोरूम में पहली बार आया था। वहां बड़ी संख्या में विदेशी और महंगे खिलौने सजे हुए थे। रवि कभी इस तरफ और कभी उस तरफ खिलौनों को उलट-पुलट कर देख रहा था। लेकिन उसे कोई खिलौना पसंद नहीं आ रहा था। उसे याद आया कि उसकी दीदी गुड़ियों को पसंद करती है।

वह शीशे पर सजी बार्बी डॉल की पंक्तियों को उठा उठाकर देखने लगा। आखिर उसे एक बार्बी डॉल पसंद आ गई। उसकी आंखें इधर-उधर घूम रही थी। मानो वह जीवित हो। रवि ने सेल्समैन से उसकी कीमत पूछी सेल्समेन ने उसकी कीमत ₹1000 बताई। रवि ने जेब से पांच पांच सौ रुपये के दो नोट निकालकर उसे दे दिए।

उसने बार्बी डॉल को एक गिफ्ट पेपर में पैक करवाया और रोहित के साथ वापिस आ गया। घर आकर रोहित उधेड़बुन में पड़ गया। अगले सप्ताह उसकी दीदी रमा का भी तो जन्मदिन आ रहा है। वह सोचने लगा यदि मैं भी अपनी दीदी को इतना महंगा उपहार लेकर दूं तो वह कितनी खुश होगी। इतनी महंगी बार्बी डॉल तो उसने आज तक सपने में भी नहीं देखी।

जब मैं उसे जन्मदिन पर भेंट करूंगा तो मारे खुशी के वह चिल्ला उठेगी। उसकी तो आंखें ही चौंधीया जाएंगी। कितने प्यार से मुझे गले लगाएगी। यह सोचकर उसके चेहरे पर रौनक सी आ गई। लेकिन दूसरे ही क्षण वह फिर उदास हो गया। उदासी का कारण था इतने पैसों का अभाव। उसकी गुल्लक में तो केवल सौ – डेड सौ रुपए ही पड़े थे।

लेकिन उसने निश्चय कर लिया था कि कुछ भी हो वह अपनी दीदी को उतनी ही महंगी डॉल खरीद कर देगा। जितनी महंगी रवि ने खरीदी है। वह कोई तरकीब सोचने लगा। अगले दिन उसकी बुआ जी मिलने के लिए आई। एक दो बार जब बुआ जी ने रोहित के सामने पर्स खोला तो उसने गौर से पर्स के अंदर देखा।

रोहित ने अनुमान लगा लिया था कि बुआ जी के पर्स में अच्छे खासे रुपए हैं। अगले दिन बुआ जी चली गई। जब रोहित की दीदी के जन्मदिन में केवल एक ही दिन शेष रह गया। तो वह अकेला ही शाम को उसी शोरूम में गया। उसने वैसी ही महंगी बार्बी डॉल खरीदी जैसी रवि ने खरीदी थी। उसने उस उपहार को पैक करवा लिया। फिर खुशी-खुशी घर आ गया।

उसने इसके बारे में रमा को कानों कान खबर तक ना होने दी। उसने पैक किया उपहार अंदर एक जगह छिपा दिया। अगले दिन सुबह होते ही वह जल्दी उठ गया। जितने उत्साह में रोहित दिखाई दे रहा था उतने उत्साह में रमा नहीं थी। रोहित ने उठते ही रमा दीदी को दीदी जन्मदिन मुबारक हो कहा। रमा ने बड़ी खुशी और मुस्कुराहट से उसका जवाब दिया और गले लगाया।

जन्मदिन शाम को मनाया जाना था। रमा ने अपनी दो चार सहेलियों को बुलाया था। जब शाम को रमा का जन्मदिन मनाया जाने लगा। तो अचानक रोहित अंदर से जन्मदिन मुबारक दीदी जन्मदिन मुबारक हो चिल्लाता हुआ आया। उसके हाथों में पैक किया उपहार था। उसने वह उपहार रमा को पकड़ा दिया। अरे यह क्या है ? इस पैकट में कौन सा उपहार ले आए हो तुम ? कहां से लाए हो ?

मुझे तो पता तक नहीं चलने दिया। रमा ने कई सवाल कर दिए। बस दीदी यह मत पूछो। अब खोल कर देखो – रोहित ने कहा। रमा ने पैकेट खोला तो उसमें इतनी सुंदर बार्बी डॉल देखकर वह चकित हो गई। उसने सबके सामने पहले तो रोहित का धन्यवाद किया। लेकिन मन ही मन उसे कोई चिंता सताने लगी। जब चाय बगेरह पी कर रमा की सहेलियां चली गई।

तो रमा ने डॉल को ध्यानपूर्वक देखा। डॉल की पीठ पर एक छोटी सी स्लिप चिपकी हुई थी। जिस पर ₹1000 लिखा था। जल्दबाजी में रोहित ने उस स्लिप की ओर ध्यान ही नहीं दिया था। रमा ने रोहित को बुलाया और कहा – रोहित ₹1000 की आई है ना यह डॉल ? रोहित ने मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दिया।

रमा ने उसके हाथ में उपहार लौटाते हुए कहा – मुझे यह उपहार मंजूर नहीं है। तेरे पास इतने रुपए कहां से आए सच-सच बता। रोहित यह सुनते ही जैसे सन्न रह गया। उसे लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो। आखिर रोहित को सारी बात सच बतानी पड़ी। उसने यह भी बताया कि जब रात को उसने बुआ जी के पर्स में से रुपए चोरी किए थे।

तो वह बुरी तरह कांप रहा था और डर भी रहा था। क्योंकि उसने पहले कभी ऐसा काम नहीं किया था। और देखा ना अब मुझसे आँख तक नहीं मिला रहे हो। यह बुरा काम करने की निशानी है। रोहित ने कान पकड़ लिए और बोला दीदी मैंने आपको खुश करने के लिए ऐसा किया। रमा बोली रोहित मुझे ऐसी खुशी की जरूरत नहीं है।

जो मेरे भाई को गलत रास्ते पर जाने के लिए उकसाए। हम कल को यह उपहार वापस लौटा कर आएंगे। और फिर तुम बुआ जी से माफी मांगोगे। भाई बहन में प्यार महंगे उपहारों से नहीं बल्कि सच्चे मन से बढ़ता है। सच्चा प्यार लाखों रुपए के उपहारों से कहीं ज्यादा कीमती होता है। ऐसा उपहार कभी किसी को खुशी नहीं दे सकता। अगले दिन दोनों भाई-बहन शोरूम पर गए और उन्होंने इस उपहार को लौटा दिया।

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