सुंदरता का घमंड | Sundarta Ka Ghamand, Hindi Kahani

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Sundarta Ka Ghamand

काननवन में टीटू नाम का एक तोता रहता था। वह बहुत सुंदर था। टीटू अपनी सुंदरता के कारण अन्य पंछियों से दूर रहता था। एक दिन टीटू आसमान में उड़ रहा था। उसे उड़ता देख नीलू कबूतर ने पूछा क्यों टीटू नजर बचाकर कहां उड़े जा रहे हो ? मैं तुम जैसे भद्दे कबूतरों के मुंह नहीं लगता। टीटू ने तपाक से कहा। नीलू कबूतर अपमानित होकर रह गया।

अगले दिन टीटू अमरूदों के बाग में मीठे मीठे अमरूद खाने में लगा था। तभी कोयल आ गई। कोयल को देखकर भी टीटू अपना पेट भरने में लगा रहा। कोयल ने पूछा, अरे टीटू जी बहुत बड़े हो गए हो क्या ? नमस्ते हेलो-हाय भी नहीं करते क्यों भाई ऐसी भी क्या नाराजगी ? टीटू बोला मैं तुम जैसी काली कलूटी से बातचीत नहीं करता।

कोयल को टीटू का उत्तर सुनकर बड़ा गुस्सा आया। किंतु वह उसके मुंह नहीं लगना चाहती थी इसलिए कुछ नहीं बोली। उसी शाम को कोयल और नीलू कबूतर ने जब कालू कौए को टीटू की हरकतों के बारे में बताया तो उसे यकीन नहीं हुआ। वह उससे मिलने टीटू के घर पहुंच गया। टीटू घर में हो क्या ? कालू ने आवाज लगाई।

तोते की पत्नी बाहर आकर बोली। वे तो सैर करने के बाग़ की तरफ गए हैं। कालू कौआ वापिस उड़ चला। थोड़ी सी उड़ान के बाद उसे लगा की टीटू की पत्नी झूठ बोल रही है। वह फुर्र से टीटू के घर फिर आ गया। सचमुच टीटू घर में ही आराम कर रहा था। कौए को यह दृश्य देखकर क्रोध आ गया। उसने टीटू से कहा, अरे घर में होकर भी अपने घर में ना होने की झूठी बात कहता है, तुम्हें शर्म नहीं आती क्या ?

तुम्हें मुझसे क्या काम है टीटू नहीं इतरा कर पूछा। मैंने सुना है कि तुम अपने आप को बड़ा सुंदर पंछी समझते हो और दूसरे परिंदों को कुरूप। किसी से बातचीत भी नहीं करते, कालू ने उसे डांटते हुए कहा। मैं अपने आप को सुंदर पंछी समझता ही नहीं हूं। बल्कि वास्तव में मैं तुम सबसे सुंदर हूं। तुम्हारी तरह मेरी सोच खाली नहीं है ना ही तुम जैसा मेरा काला शरीर है।

देखो मेरी लाल चौंच। गले में धारीदार माला और हरे हरे सुंदर पंख। टीटू ने अपनी सुंदरता का बखान कर हुए कहा। कालू कौआ समझ गया कि सचमुच टीटू को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड हो गया है। वह चुपचाप वहां से अपने घर लौट आया। अगले दिन कालू ने सभी पंछियों की बैठक बुलाई। बैठक में चिड़िया, कोयल, कबूतर, उल्लू और मोर आदि मौजूद थे।

कोयल ने टीटू तोते को काननवन में रंग और नस्ल भेद फैलाकर एकता को तोड़ने वाला पंछी बताते हुए कहा। टीटू को अपनी बिरादरी से बाहर निकाल देना चाहिए। नीलू कबूतर ने कहा : टीटू काननवन में नक्सलवाद व रंगभेद की नीति को बढ़ावा दे रहा है। उसके खिलाफ कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। अंत में कालू कौए ने प्रस्ताव पढ़ कर सभी को सुनाया।

जिसमें लिखा था कि टीटू हमारी एकता व अखंडता के लिए घातक है। वह रंगभेद अलगाववाद की विचारधारा पर चल रहा है। उसे काननवन की बिरादरी से निष्कासित किया जाता है। टीटू को जब यह पता चला तो वह और अधिक खुश हुआ। एक दिन का काननवन में कुछ शिकारी जाल लेकर घुस आए। उनका उद्देश्य रंग-बिरंगे सुंदर पक्षियों को पकड़कर बेचना था।

एक शिकारी नजर टीटू पर पड़ी। वह उसकी सुंदरता से बड़ा प्रभावित हुआ और शिकारी ने तुरंत टीटू को पकड़ने की योजना बनाई। टीटू शिकारी की इच्छा समझ गया और फिर से उड़ गया। शिकारी भी उसके पीछे पीछे दौड़ता रहा। अचानक चारों तरफ जाल बिछा दिया गया टीटू उड़ता उड़ता थक चुका था।

टीटू जाल में फंसने ही वाला था कि उसे कालू कौए का घर दिखाई दिया। वह झट से उसमें घुस गया। कालू ने जब टीटू को देखा तो बहुत गुस्से में बोला। अरे सुंदर पंछी काले कलूटे के घर में क्यों गुस्सा आया ? चल निकल ! जरा मेरी बात तो सुनो कौए दादा। हाँफते हुए टीटू ने कहा। मैं कुछ नहीं सुनना चाहता कालू ने कहा।

टीटू ने पैर पकड़ लिए और बोला मेरे पीछे एक शिकारी बुरी तरह से पड़ा है। मैं यहां से उड़ा तो वह मुझे जाल में फंसा लेंगे और पिंजरे में बंद कर शहर में बेच देंगे। मुझे क्या पता था कि मेरी सुंदरता ही मेरी दुश्मन बन जाएगी। आप बड़े दयालु हैं दादा मुझ पर रहम करो। मैं अपने द्वारा किए गए व्यवहार से आज शर्मिंदा हूं। टीटू बोलते बोलते रोने लगा।

कालू कौए को दया आ गई वह बोला ठीक है तुम यही ठहरो मैं बाहर जा कर देखता हूं। टीटू ने राहत की सांस ली। कालू कौआ अपने परिवार के साथ बाहर निकला तो शिकारी कौए को देखकर वहां से लौट गया। कौए ने फिर अपने सभी साथी परिंदों को तुरंत अपने घर बुलवा लिया। थोड़ी ही देर में सब जमा हो गए।

कौए ने टीटू की सारी कहानी उनको बता दी। सभी पंछियों ने टीटू पर तरस खाते हुए उसे माफ कर दिया। टीटू ने भी सभी से सिर झुका कर माफी मांगी। इतना ही नहीं उसने काननवन के नियमों पर चलना स्वीकार कर लिया और सभी के साथ मिलजुल कर रहने की कसम उठाई। उसके सिर से सुंदरता का भूत उतर चुका था।

शिक्षा : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी सुन्दरता पर घमंड नहीं करना चाहिए.

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