Sangeet Kya Hai ? संगीत क्या है ?
नमस्ते दोंस्तों, आज इस आर्टिकल में आप पढने वाले हैं कि संगीत क्या है ? Sangeet Kya Hai ? संगीत को लेकर आपके मन में जो प्रश्न हैं उनका जवाब आपको इस पोस्ट में मिल जाएगा. तो आईये समझते है.
Table of Contents
संगीत क्या है ?
संगीत/म्यूजिक सर्वश्रेष्ठ ललित कला है. इसके अन्तर्गत गायन, वादन और नृत्य तीनों कलाओं का समावेश है. मगर कुछ लोग सिर्फ गायन को ही संगीत कहते हैं जोकि उचित नही है. भारतीय संगीत में गायन संगीत का एक अंग है जो वादन और नृत्य की अपेक्षा अधिक महत्व रखता है.
गायन, वादन तथा नृत्य स्वर और लय पर आधारित है. गायन, वादन में स्वर की और नृत्य में लय की प्रधानता रहती है.
संगीत की परिभाषा (Sangeet Ki Paribhasha) :
“लय (Rhythm) और स्वर (Tone) के संतुलित सम्बन्ध के माध्यम से अपनी भावनाओं (Feelings) को मोहक ढंग से प्रकट करने की क्रिया को संगीत कहते हैं.”
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संगीत पद्धति :
भारत में संगीत की दो पद्धतियाँ प्रचलित हैं, जिनमे से एक कर्नाटकी या दक्षिणी पद्धति है. जिसका प्रचार कर्नाटक प्रदेश, मद्रास, आन्ध्र प्रदेश, मैंसुर आदि में है. दूसरी हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति है जो कर्नाटक प्रदेश के अतिरिक्त समस्त भारत में प्रचलित है.
संगीत के कितने पक्ष हैं :
संगीत के दो पक्ष हैं : 1. भाव पक्ष 2. कला पक्ष
संगीत (Sangeet) में भाव पक्ष क्या है ?
जब कलाकार स्वर, लय और ताल के माध्यम से अपने आकर्षक मनोभावों को इस प्रकार व्यक्त करता है कि सूक्ष्म से सूक्ष्म भाव भी स्पष्ट हो जाता है, तब वह संगीत भावपूर्ण कहा जाता है. इसमें कलाकार स्वरों के चमत्कार या राग के आलंकृत रूप की ओर नहीं झुकता.
संगीत में कला पक्ष क्या है ?
जब कलाकार मनोभावनाओं को व्यक्त करने में भावपक्ष की ओर ध्यान देने के साथ-साथ अपनी कला को चमत्कारों, विभिन्न लयकारियों और अलंकारों से सु-सज्जित कर श्रोताओं के सम्मुख रखता है. तब उसका संगीत कला-पूर्ण कहलाता है.
संगीत के रूप :
क्रियात्मक संगीत
इसके अन्तर्गत गायन, वादन और नृत्य का क्रियात्मक पक्ष आता है. संगीत का यह रूप कानों द्वारा सुना जाता है या नेत्रों द्वारा देखा जाता है.
शास्त्रीय संगीत
इसमें गायन, वादन और नृत्य के कुछ शास्त्रीय नियम होते हैं. जिनका पालन करने से शास्त्रीय संगीत का रूप विकृत नही होता. शास्त्रीय संगीत में कलाकार को इन नियमों का पालन करना होता है.
भाव संगीत
इसमे कोई नियमित शास्त्र नहीं होता, इसका उद्देश्य केवल गीत का कानों को अच्छा लगना, स्वर रचना या गीत गाने में किसी प्रकार के नियमों को सामने नहीं रखना पड़ता. अपितु कलाकार अपनी कला कुशलता से कोई भी स्वर प्रयोग कर सकता है.
संगीत शास्त्र
इसके अन्तर्गत रागों का परिचय स्वर लिपि, तान, आलाप, ताली, रेला, टुकड़ा, मुखड़ा, मिलते जुलते स्वर, रागों की तुलना आदि आता है. संगीत शास्त्र में संगीत से सम्बंधित सारी जानकारी आ जाती है. संगीत को समझने के लिए संगीत शास्त्र को पढना बेहद जरूरी होता है.
निष्कर्ष (Conclusion)
आपने इस आर्टिकल में संगीत के बारे में पढ़ा कि संगीत क्या है , Sangeet Ki Paribhasha और बहुत सी जानकारी प्राप्त की. संगीत के लिए संगीत की जानकारी होना बहुत आवश्यक है. बिना जानकारी के संगीत को समझ पाना बहुत मुश्किल है.
आपने पढ़ा कि संगीत के भी अलग अलग रूप है. संगीत के इन रूपों के बारे में हम आने वाले आर्टिकल में चर्चा करेंगे. जैसे Indian Classical Music के बार में, राग क्या है ? राग कितने प्रकार के हैं ओर भी बहुत सी जानकारी आपको मिलेगी.
आपको आर्टिकल कैसा लगा हमे जरुर बताएं. इसी तरह संगीत से सम्बंधित जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहें.
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