Raag Kise Kahate Hain राग किसे कहते हैं ?
नमस्ते दोस्तों, आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि Raag Kise Kahate Hain ? राग किसे कहते हैं ? राग कि परिभाषा और राग की जातियां कितनी हैं ? इन सभी विषयों के बारे में हम आपको पूरी जानकारी हिंदी में देने वाले हैं.
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राग क्या है ?
राग वह संगीतमय ध्वनि है जो स्वर और वर्ण से विभूषित हो ओर जिसे सुनकर मानव मन को प्रसन्नता की अनुभूति हो उसे राग कहते हैं.
राग किसे कहते हैं ? राग की परिभाषा :
परिभाषा : राग स्वरों का वह समूह होता है जिसे गा कर या बजा कर मन को शांति मिलती है. राग शब्द रस धातु से बना है जिसका अर्थ है – प्रसन्न करना. राग में स्वर और वर्ण का का मधुर मेल रजकता को उत्पन्न करता है.
राग के नियम :
- राग की उत्पति थाट से होती है.
- कम से कम 5 स्वर और अधिक से अधिक 9 स्वर हो सकते हैं.
- आरोह अवरोह का होना आवश्यक है क्यूंकि राग के आरोह अवरोह के आधार पर ही राग की जाति बनती है.
- ‘सा’ स्वर कभी वर्जित नही किया जा सकता.
- राग में ‘मा’ और ‘पा’ स्वर कभी वर्जित नही किये जा सकते क्यूंकि संगीत में ‘सा’ ‘मा’ या ‘सा’ ‘पा’ संवाद रहता है.
- रंजकता अवश्य रहनी चाहिए.
- राग में स्वर और वर्ण दोनों का होना आवश्यक है.
- एक स्वर के दोनों रूप इकठे नही आ सकते.
राग की जातियां :
राग में लगने वाले स्वरों से राग की जाति निश्चित होती है. राग में कम से कम पांच स्वर अवश्य लगने चाहिए. इस प्रकार कुछ रागों में सात स्वरों का, कुछ में छ: स्वरों का और कुछ में पांच स्वरों का प्रयोग होता है. इस आधार पर मुख्य रूप से राग की तीन जातियां मानी गयी है.
- सम्पूर्ण जाति – सात स्वरों से युक्त 2. षाडव जाति – छ: स्वरों से युक्त 3. औडव जाति – पांच स्वरों से युक्त
सम्पूर्ण जाति
जब किसी राग में सातों स्वरों का प्रयोग होता है और किसी प्रकार का कोई स्वर वर्जित नही होता तो उसे सम्पूर्ण जाति का राग कहते हैं. इस श्रेणी में यमन, बिलावल, भैरव आदि राग आते हैं.
षाडव जाति
जिस राग में छ: स्वरों का प्रयोग होता है व एक स्वर वर्जित होता है तो उसे षाडव जाति का राग कहते हैं. जैसे – राग ‘मारवा’.
औडव जाति
जिस राग में दो स्वर वर्जित करके केवल पांच स्वरों का प्रयोग होता है, उसे औडव जाति का राग कहते है. जैसे – ‘भूपाली’ राग औडव जाति का राग है.
- संगीत क्या है ? (पूरा पढ़ें)
इसके आगे इन तीन जातियों की 9 उपजातियां बन जाती हैं :
- सम्पूर्ण – सम्पूर्ण
- सम्पूर्ण – षाडव
- सम्पूर्ण – औडव
- षाडव – सम्पूर्ण
- षाडव – षाडव
- षाडव – औडव
- औडव – सम्पूर्ण
- औडव – षाडव
- औडव – औडव
- सम्पूर्ण – सम्पूर्ण : जिस राग के आरोह तथा अवरोह दोनों का सातों स्वरों का प्रयोग होता है उसे सम्पूर्ण – सम्पूर्ण जाति का राग कहते हैं.
- सम्पूर्ण – षाडव : जिस राग में आरोह में सात व अवरोह में छ: स्वर लगते हैं उसे सम्पूर्ण – षाडव जाति का राग कहते हैं.
- सम्पूर्ण – औडव : जिस राग में आरोह में सात व अवरोह में पांच स्वर लगते हैं उसे सम्पूर्ण – औडव जाति का राग कहते हैं.
- षाडव – सम्पूर्ण : जिस राग के आरोह में छ: तथा अवरोह में सात स्वरों का प्रयोग होता है उसे षाडव – सम्पूर्ण जाति का राग कहते हैं.
- षाडव – षाडव : जिस राग में आरोह में छ: व अवरोह में छ: स्वर लगते हैं उसे षाडव – षाडव जाति का राग कहते हैं.
- षाडव – औडव : जिस राग में आरोह में छ: व अवरोह में पांच स्वर लगते हैं उसे षाडव – औडव जाति का राग कहते हैं.
- औडव – सम्पूर्ण : जिस राग के आरोह में पांच तथा अवरोह में सात स्वरों का प्रयोग होता है उसे औडव – सम्पूर्ण जाति का राग कहते हैं.
- औडव – षाडव : जिस राग में आरोह में पांच व अवरोह में छ: स्वर लगते हैं उसे औडव – षाडव जाति का राग कहते हैं.
- औडव – औडव : जिस राग में आरोह में पांच व अवरोह में पांच स्वर लगते हैं उसे औडव – औडव जाति का राग कहते हैं.
निष्कर्ष :
आपने इस आर्टिकल में राग के बारे में अच्छे से जाना कि राग किसे कहते हैं , राग के नियम और राग की जातियां कितनी हैं इस बारे में पढ़ा. आपको यह कैसा लगा हमे कमेंट करके बताएं.
इसी तरह संगीत से सम्बंधित ओर जानकरी के लिए हमारे साथ जुड़े रहें. आर्टिकल पढने के लिए आपका धन्यवाद.