नीम का घमंड | Neem Ka Ghamand, Hindi Kahani
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बात बहुत पुरानी है। एक जंगल था वहां आम और नीम के पेड़ बिल्कुल पास-पास लगे हुए थे। एक बार रानी मधुमक्खी नीम के पेड़ के पास आकर बोली, नीम भाई क्या मैं आपकी किसी शाखा पर अपना छत्ता यानी घर बना सकती हूँ ? मधुमक्खी की बात सुनते ही नीम तुनक पड़ा। नहीं कोई जरूरत नहीं।
जो तुम मेरे ऊपर अपना छत्ता बनाओ। इतने सारे पेड़ नहीं दिखाई पड़ते ? किसी पर भी छत्ता बनाओ। जाओ यहां से भागो। आम के पेड़ में मधुमक्खी और नीम की बात सुन ली थी। आम बोला अरे नीम भाई तुम्हें क्या हर्ज है ? मधुमक्खी तुम्हारी शाखाओं पर छत्ता बनाएगी तो वे ज्यादा सुरक्षित रहेंगी। उसे अपना बना लेने दो।
आम की बात पर नीम का पेड़ और बिगड़ पड़ा। वह बोला तुम ही क्यों नहीं अपनी शाखाओं पर मधुमक्खी का छत्ता बनाने देते ? आम के पेड़ ने मधुमक्खी से अपनी शाखाओं पर छत्ता बनाने को कहा। मधुमक्खी ने छत्ता बनाया। एक बार कुछ लोग आम के पेड़ को काटने लगे। तभी उनकी निगाह मधुमक्खियों के छत्ते पर पड़ी।
तभी एक आदमी बोला, यार हमने यह आम का पेड़ काटा तो मधुमक्खियां हम पर टूट पड़ेंगी। दूसरे आदमी ने कहा हां तुम बिल्कुल सही कहते हो। चलो उस नीम के पेड़ को काटते हैं। जैसे ही नीम के पेड़ पर उन आदमियों ने कुल्हाड़ी मारी। वैसे ही अपने बचाव की पुकार नीम का पेड़ करने लगा।
नीम की पुकार सुनकर आम के पेड़ ने मधुमखियों से नीम की रक्षा करने को कहा। उसकी बात सुनकर आम के पेड़ की शाखाओं पर रह रही मधुमक्खियों ने अपनी फौज के साथ आदमियों पर आक्रमण कर दिया। पेड़ काटने वाले उल्टे पैर भाग खड़े हुए। नीम का पेड़ मधुमक्खियों को धन्यवाद देने लगा। मधुमक्खियां बोली, नहीं भाई हमें धन्यवाद मत दो।
धन्यवाद तो आम का करो जिन्होंने हमें अपनी शाखाओं पर छत्ता बनाने की जगह दी और आप को बचाने के लिए हमसे कहा। जिससे हमने उन लोगों पर हमला बोल दिया और वे भाग खड़े हुए। नीम का पेड़ शांत हो गया। उसका घमंड अब मिट चुका था। अब वह अपनी गलती के लिए क्षमा मांग रहा था।
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