Hindi Kahani Shrarat Chhut Gayi | शरारत छूट गई
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शरारत छूट गई
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बृजेश एक नटखट लड़का था। वह हर समय शरारत करता था। उसकी शरारत से घर के सारे लोग परेशान रहने लगे थे। उन्हें प्रतिदिन मोहल्ले से बृजेश की शरारतों की ढेर सारी शिकायतें मिलती थी। कभी वह रामू के कुत्ते को पत्थर मार देता था। तो कभी रामू चाचा की बकरियां दूर खेत में भगा देता था।
कभी किसी के बाग में घुसकर अमरुद चुरा लेता था। उसकी शरारतों से मोहल्ले के सारे लोग परेशान हो चुके थे। कई बार उसे चेताया गया। मार भी पड़ी। परंतु वह नटखट तो सुधरता ही नहीं था। 1 दिन की बात है। बृजेश स्कूल से वापस घर लौट रहा था। तभी उसे कुछ दूरी पर स्थित बगीचे में आम के वृक्ष दिखे। गर्मी का मौसम होने के कारण उस पर ढेर सारे आम लगे हुए थे।
आम देख कर उसके मुंह में पानी भर आया। वह आम तोड़ने का उपाय सोचने लगा कुछ देर वहां खड़ा रहकर आम को वह निहारता रहा। फिर कुछ सोच कर घर आ गया। रविवार का दिन था। बृजेश आम तोड़ने की योजना बनाकर अपने कुछ अन्य उदंड मित्रों को साथ लेकर आम के बगीचे में पहुंच गया। उसने इधर उधर नजर दौड़ाई।
उस समय वहां कोई भी नहीं था। बस फिर क्या था। मित्रों को आस पास खड़ा कर वह फुर्ती से पेड़ पर चढ़ने लगा। एकाएक वह आधा वृक्ष पर से नीचे उतर आया। क्या हुआ बृजेश ? क्यों उतरने लगे ? मित्रों ने जानना चाहा। तो वह घबराकर बोला – वह ! वह देखो ऊपर जहरीली मक्खियों का छत्ता है। सबने देखा वृक्ष की एक शाखा पर एक बड़ा सा मक्खियों का छत्ता था।
उस पर हजारों जहरीली मखियाँ भिन भिना रही थी। बृजेश चलो हम एक डंडा ले आते हैं। उसी से आम तोड़ेंगे। रवि कह रहा था कि सुमित ने उसकी बात काटी। नहीं नहीं डंडे से काम नहीं चलेगा। अभी देखना मेरी बहादुरी मैं पेड़ पर चढ़ जाऊंगा – सुमित ने कहा और वह सरपट पेड़ पर चढ़ने लगा। तभी बृजेश को एक शरारत सूझी।
उसने एक पत्थर उठाकर छत्ते पर दे मारा। मक्खियां बिफ़र उठी। सारे लड़के चीखते चिल्लाते भागे। सुमित भी उसे गालियां देता हुआ पेड़ पर से कूद कर भाग गया। लेकिन भागते वक्त ठोकर लगने से बृजेश गिर पड़ा तथा मखियाँ उस पर टूट पड़ी। वह लहूलुहान होकर वहीं बेहोश हो गया। शरीर फूल कर कुप्पा हो गया। कहीं कहीं से खून का रिसाव भी होने लगा था।
इधर उसके मित्रों ने घर में कोई खबर ना दी। जब बहुत देर हुई और वह घर नहीं पहुंचा तो मम्मी पापा को चिंता सताने लगी। पिता उसे ढूंढने निकले। मित्रों से पूछा सबने यही बताया आज तो वह अकेले ही कहीं जा रहा था। हमारे साथ नहीं गया। पिता की चिंता दुगनी हो गई। ना जाने की स्थिति में होगा। वे उसे ढूंढते ढूंढते बाजार की तरफ निकल गए।
थोड़ी दूर जाने के पश्चात उन्होंने देखा कि डॉ शर्मा की क्लीनिक में भीड़ लगी है। उसने वहां जाकर पूछा कि भीड़ क्यों लगी है ? तो एक व्यक्ति ने बताया कि एक लड़के को जहरीली मखियों ने डंक मार दिए हैं। वह बेहोश है। बृजेश के पिता ने सोचा कहीं बृजेश तो नहीं और वे विचलित हो गए। जब वे अंदर दाखिल हुए। तो उनकी आशंका सही निकली। बेड पर वही था।
उसका सारा शरीर फुला हुआ था। डॉ शर्मा उसका इलाज कर रहे थे। पास ही सुरेश बैठे थे। जो बृजेश के पापा के मित्र है। उसने बृजेश के पापा को सारी घटना से अवगत कराते हुए बताया। यदि मैं इसे आज यहां नहीं लाता तो शायद परेशानी बढ़ सकती थी। बृजेश के पापा सुनकर हैरान रह गए। थोड़ी देर बाद उसने आंखें खोल दी।
पापा डॉ शर्मा की फीस चुका कर उसे घर ले आए। सारी बातें मम्मी को बताई। यदि सुरेश इसे डॉक्टर के पास नहीं ले जाता तो शायद यह बच नहीं पाता। मम्मी ने उसके प्रति आभार प्रकट किया। बृजेश की आंखें भर आई। वह सुबकते हुए क्षमा याचना करने लगा। मुझे माफ कर दो माँ। मैं अब मैं ऐसा काम नहीं करूंगा।
आज मुझे अपने किए की सजा मिल गई है और वह फिर सुबकने लगा। मम्मी ने उसे समझाया। बेटे अच्छे बच्चे कोई भी गलत काम नहीं करते। चोरी करना पाप है। बृजेश ने आगे से शरारती बच्चों का संग ना करने तथा शरारत और चोरी जैसा कोई भी काम ना करने की कसम खाई। कुछ समय बाद वह स्वस्थ हो गया और पढ़ाई में मन लगाने लगा। अब उसके स्वभाव में परिवर्तन आ गया था। मम्मी पापा प्रसन्न थे।
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