Hindi Kahani Janmdin Ka Anokha Tohfa | जन्मदिन का अनोखा तोहफ़ा
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जन्मदिन का अनोखा तोहफा
चमन वन में राजा शेर का शासन चलता था। जंगल में रहने वाले समस्त जानवर खेती करते थे। एक साल बरसात नहीं हुई। तमाम फसल सूख गई। पूरे जंगल के जानवर इसी कारण अपने राजा को लगान नहीं दे सके। लगान ना मिलने पर शेर गुस्से में लाल पीला होते हुए अपने सेनापति भालू से बोला – तुम सिपाहियों सहित जाओ और प्रजा से सूद समेत लगान वसूल करो।
यदि कोई लगान देने से इनकार करे तो उसे पकड़कर राज दरबार में पेश किया जाए। राजा शेर का हुक्म होते ही सेनापति भालू ने सिपाहियों के साथ प्रजा के घरों में पड़े सामान को जप्त कर लिया और उन्हें भी पकड़कर राजा शेर के पास ले गए। जब बहुत से जानवरों को पकड़कर राजदरबार में लाया गया और उन्हें राजा शेर के सम्मुख पेश किया गया।
तब राजा शेर का बेटा चीकू भी वहां मौजूद था। चीकू ने देखा कि जानवर बहुत दुखी थे। वे आपस में अपनी बुरी हालत की चर्चा कर रहे थे। उसने उनकी बातें सुनी उनका दुख जानकर उसकी आंखें भर आई। उसने सभी जानवरों को राजा के दंड से मुक्ति दिलाने का निश्चय किया। अगले दिन चीकू का जन्मदिन था।
इस दिन के लिए राजा शेर ने कहा था – बेटा चीकू अपने जन्मदिन पर जो भी तोहफा तुम मांगोगे वह मिलेगा। अब चीकू ने तमाम जानवरों का दुख दूर करने के लिए एक उपाय सोचा। वह अपने पिता से बोला आज मेरा जन्मदिन है। आपने मुझे कोई तोहफा देने का वचन दिया था। अब मैं वह तोहफा आपसे लेने आया हूं।
सुनकर राजा शेर बोला मैं तो बिल्कुल भूल गया था कि तुम्हारा आज जन्मदिन है। चलो सबसे पहले तो हम तुम्हें जन्मदिन पर ढेरों बधाइयां देते हैं और तुम्हारी दीर्घायु और कामयाबी की प्रार्थना करते हैं। थोड़ी देर बाद चीकू के मुंह में केक रखकर राजा शेर बोला बेटा अब मांगो तुम्हें अपने जन्मदिन पर कौन सा तोहफा चाहिए।
चीकू बोला पिताजी इन बेचारे गरीबों की छीनी हुई चीजें लौटा दीजिए। जाने की अनुमति दीजिए। जन्मदिन पर तोहफे की मांग सुनकर राजा शेर का पत्थर दिल मॉम बनकर पिघल गया। उसकी आंखों में हर्ष के आंसू छलक पड़े। फिर उसने अपने बेटे से कहा चीकू बेटा तूने अपने लिए तो कुछ मांगा ही नहीं।
कुछ तो मांगो इस पर चीकू बोला पिताजी आप प्रसन्न है तो मुझे पक्का वचन दीजिए कि यदि किसी साल फसल ना हो तो उस साल लगान वसूल नहीं किया जाएगा। इससे मुझे बड़ी खुशी होगी। राजा शेर ने ऐसा ही किया। सभी जानवरों को सम्मान के साथ खुशी-खुशी आजाद कर दिया। उनकी जब चीजें भी लौटा दी।
भविष्य के लिए फसल ना होने पर लगान ना लेने का नियम भी बना दिया गया। अब तमाम जानवर बड़ी प्रसन्नता से राजकुमार को आशीर्वाद देते हुए अपने घरों को लौट आए।
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