Hindi Kahani Hariyal Ki Sikh | हरियल की सीख

हरियल की सीख

Hindi Kahani Hariyal Ki Sikh

Hindi Kahani Hariyal Ki Sikh, Bacchon Ki Kahani, Kahani With Moral, Bacho Ki Kahani, Hindi Kahaniyan

एक दिन कालू भालू का बेटा लालू बाग में बैठा एक जासूसी उपन्यास पढ़ रहा था। जिसमें एक ऐसे तोते का वर्णन था। जिसने एक समय किसी मुसीबत में फंसे अपने मालिक की रक्षा की थी। बस तभी से उसने सोच लिया कि वह एक तोता पालेगा। और जल्द ही उसकी यह इच्छा भी पूरी हो गई।

एक सुबह सूरजमुखी के फूल पर बैठे हरियल तोते को चुपके से पकड़ कर उसने पिंजरे में डाल दिया। कुछ दिन तो हरियल बड़ा खुश रहा, पर धीरे-धीरे उसे खुले जंगल की याद आने लगी। पिंजरे में बैठे-बैठे उसके पैर दुखने लगे और पंखों का लचीलापन समाप्त हो गया। लालू हर सुबह पिंजरे को घर से बाहर अमरूद के बड़े पेड़ पर टांग देता।

उस दिन भी हरियल हमेशा की तरह पिंजरे में उदास बैठा था कि उसे धुनिया तोते की आवाज सुनाई दी। जो चुग्गे की तलाश में उड़ता उड़ता उस तक पहुंच गया था। अरे भाई हरियल तुम यहां कैसे ? पर लगता है बड़े प्रसन्न हो। तभी तो इतने मुटिया गए हो। धुनिया तोते ने हंसते हुए पूछा तो हरियल रो पड़ा। उसे रोते देख धुनिया हैरान रह गया। तुम रो किस लिए रहे हो हरियल ?

कालू भालू के आलीशान जंगले में रहते हो। जहां तुम धूप और वर्षा से बचे रहते हो। कूलर की ठंडी हवा में सोते हो और फ्रिज का ठंडा पानी और शरबत पीकर निहाल होते हो। मुझे देखो सारा दिन खाने की तलाश में मारे-मारे फिरना पड़ता है। फिर भी रुखा सुखा ही जुटा पाता हूं। और तुम आराम से बैठे बैठे फल, मिठाई और चुरी खाते हो।

भई मुझे तो तुमसे ईर्ष्या होने लगी है। अगर मैं तुम्हारी जगह इस पिंजरे में होता तो तुम्हारी तरह रोता नहीं बल्कि जिंदगी के मजे लूटता। देखो धुनिया। तुमने वह कहावत तो सुनी ही होगी जिस तन लागे सो तन जाने। इसलिए आजकल जो मुझ पर बीत रही है उसे तुम नहीं समझ सकते। पर इतना जान लो जो सुख और शांति स्वतंत्र रहने में है वह कैदखाने में नहीं।

इसलिए भूल कर भी कैदी बनकर रहने की बात मत सोचना। बल्कि मुझे भी यहां से निकालने की कोशिश करो। यहां रहते रहते तो किसी दिन मेरा दम घुट जाएगा। इतना कहकर हरियल फिर रोने लगा। इतना मूर्ख है यह हरियल इतने आराम से रहते हुए भी हर समय रोता रहता है। आखिर सारा सारा दिन जंगल में आजाद घूमने से मिलता भी क्या है।

वही कच्चे-पक्के सड़े गले फल और नदी किनारे का हमेशा एक सा स्वाद देने वाला पानी। और इस हरियल को देखो बैठे-बिठाए बढ़िया भोजन मिल जाता है। इसलिए नखरे दिखा रहा है। मुझे क्या यदि यह यहां नहीं रहना चाहता तो ना सही, पर मैं यह सुनहरी मौका हाथ से नहीं जाने दूंगा। उसके पिंजरे से बाहर आते ही मैं उसकी जगह जा बैठूंगा।

यह सब सोचते हुए उसने हरियल की और दृष्टि घुमाई और बोला – देखो भाई अब रोना धोना छोड़ो और पिंजरे से बाहर आने के लिए तैयार हो जाओ। मैं तुम्हारा मित्र हूं। तुम्हें इस तरह दुखी और परेशान देख भी कैसे सकता हूं। कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा। अच्छा रुको मैं जरा देख कर आता हूं कि लालू कहां है।

अगर वह आस-पास ना दिखाई दिया तो यही सही मौका है तुम्हें आजाद करने का। इतना कहकर वह दूर दूर तक लालू को देख आया। पर वह कहीं दिखाई नहीं दिया। अब मैं हरियल को आराम से पिंजरे से बाहर कर उसके स्थान पर बैठ सकता हूं। हमारी एक सी सूरत होने के कारण लालू नहीं जान पाएगा कि हरियल उड़ गया।

ऐसा सोचते हुए उसका मन खुशी से उछलने लगा और वह तेजी से उड़ता हुआ हरियल के पास जा पहुंचा और पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। हरियल पहले से बाहर जाने के लिए तैयार बैठा था। किंतु जैसे ही वह पिंजरे से निकलकर उड़ने को तैयार हुआ, फौरन जमीन पर जा गिरा। महीनों पिंजरे में बंद रहने के कारण उसके पंखों में पहले जैसी स्फूर्ति नहीं रह गई थी।

इससे पहले कि वह फिर से उड़ने की कोशिश करता। एक बिल्ली जो घात लगाए बैठी थी उसे मुंह में दबाए झाड़ियों में जा छिपी। यह सब कुछ इतनी जल्दी में हुआ कि धुनिया कुछ भी ना सोच सका। और हैरान होकर बैठा का बैठा रह गया। अब तक वह बिल्ली का भोजन बन चुका होगा। उसने सोचा और एक नजर खुले पिंजरे पर डाली और दहशत से भर गया।

इतनी दर्दनाक घटना को अपनी आंखों से देख लेने के बाद उसे हरियल की बात की सच्चाई समझ में आ गई। कि आजादी से बढ़कर जीवन में कुछ नहीं। भले ही मेहनत करके रुखा सुखा खाकर ही जीना पड़े। इस विचार के आते ही वह उड़न छू हो गया।

आपको Hindi Kahani Hariyal Ki Sikh Bacchon Ki Kahani कैसी लगी हमें कमेंट करके जरुर बताएं. इस कहानी को अपने मित्रों और परिजनों के साथ भी शेयर करें.

 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *