Hindi Kahani Chuhiya Ki Zid | चुहिया की जिद
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चुहिया की ज़िद
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रामपुर गांव में बगीचे के पास एक प्राइमरी विद्यालय था। जहां गांव के बच्चे रोज पढ़ने जाया करते थे। उसी विद्यालय के पिछवाड़े में रानी चुहिया का परिवार एक बिल के अंदर सुख शांति से जीवन बसर कर रहा था। रानी अपने परिवार की सबसे छोटी सदस्य थी। वह हंसमुख, नटखट, मिलनसार व साहसी थी। इसलिए सबकी प्यारी वह लाडली भी थी।
बिल से बाहर निकलकर रानी अक्सर स्कूल के बच्चों को हंसते खेलते पढ़ते लिखते देखा करती। बच्चों को पढ़ते देखकर उसका जी पढ़ने के लिए ललचाया। एक दिन कक्षा में शिक्षक महोदय जब शिक्षा के महत्व को समझा रहे थे। तो वह भी कान लगाकर सुन रही थी। उसने मन ही मन निश्चय कर लिया कि वह भी पढ़ेगी लिखेगी। पढ़ लिखकर चूहा जाति का उत्थान करेगी।
फिर क्या था उसने अपने मन की बात अपने परिजनों के समक्ष रखी। उसकी ख्वाहिश सुनकर परिजन चिंता में डूब गए। सभी अपने अपने तरीके से उसे समझाने बुझाने का प्रयास करने लगे। सबने एक स्वर से यही समझाने का प्रयास किया कि व्यर्थ के लफड़े में नहीं पड़े।
दरअसल परिवार वालों को डर था कि पढ़ने के लिए अपने बिल से बाहर निकलकर पास के विद्यालय में जाना होगा। उसी रास्ते में कालू बिल्ला का आतंक था। उसके डर से कोई भी चूहा उस रास्ते से नहीं गुजरता था। अपनी प्यारी रानी की जिंदगी को खतरे में डालने की अनुमति कोई कैसे देता। रानी चुहिया समझ चुकी थी कि उसे क्यों नहीं पढ़ने दिया जा रहा।
वह उदास होने के बजाय उन्हें समझाने लगी। आप लोग व्यर्थ में चिंता कर रहे हैं। पता है विद्यालय में गुरु जी क्या बता रहे थे। इस पर सभी ने एक स्वर से पूछा। क्या ? गुरु जी बता रहे थे, एक समाज तभी विकास कर सकता है जब उसके नागरिक शिक्षित हो। शिक्षा से बुद्धि का विकास होता है सोच समझ बढ़ती है। हमें डर कर नहीं निडर होकर जीना चाहिए।
वह यह भी कह रहे थे कि जो चुप रहकर अन्याय सहता है। वह भी अपराधी होता है। आप लोग क्यों अपराधी बनना चाहते हैं ? क्या बात कर रही हो रानी। हम कालू बिल्ला से डरते हैं तो क्या हम अपराधी हैं ? -बुढ़िया दादी ने आश्चर्य से पूछा। और नहीं तो क्या दादी। कोई किसी को बिना कारण के तंग नहीं कर सकता। कालू बिल्ला भी नहीं।
अगर वह बिना किसी कारण से हमें तंग करेगा तो उसे जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। उसे देखकर हम डरते हैं इसलिए वह डराता है। रानी की बात सुनकर आपस में सभी परिजन सलाह करने लगे। आम सहमति से सब ने उसे पढ़ने की इजाजत दे दी। फिर क्या था वह खुशी-खुशी विद्यालय जाने लगी।
एक बार कालू बिल्ला ने रानी चुहिया को परेशान किया तो दरोगा लोमड़मल ने कालू बिल्ला को सलाखों के पीछे डाल दिया। रानी की देखा देखी में अन्य वन्य प्राणी भी विद्यालय में जाने लगे और भयमुक्त वातावरण खुशहाल हो गया।
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