Hindi Kahani Bikhu Kisan Aur Lomad | भीखु किसान और लोमड़
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भीखु किसान और लोमड़
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भीखु किसान बहुत गुस्सैल स्वभाव का था। उसके गुस्से के कारण सभी उसे दूर दूर रहते थे। गेहूं की फसल पक गई थी। उसे काटने के लिए कोई उसका साथ देने को तैयार नहीं था। एक दिन वह अकेला ही फसल काटने के लिए खेत में गया। मोंटू लोमड़ खेत में घूम रहा था। कुछ दिनों से बाढ़े से मुर्गियां गायब हो रही थी।
किसान समझ गया कि वह लोमड़ की ही शरारत थी। उसने फौरन लोमड़ को गले में रस्सी डालकर पकड़ लिया। लोमड़ गिड़-गिड़ाने लगा। मेहरबानी करके मुझे छोड़ दो। वादा करता हूं कि तुम्हारी मुर्गियां कभी नहीं चुराऊँगा। खेत की तरफ देखूंगा तक नहीं। तुम झूठ बोल रहे हो। भीखु गुस्से में बोला। शांत हो जाओ।
लोमड़ अपने आप को भीखु के चुंगल से छुड़ाने की कोशिश करता हुआ बोला। ज्यादा गुस्सा करना ठीक नहीं। गुस्सा ना करूं, क्यों ना करूं गुस्सा ? भीखु चिल्लाया। तुमने यह कहने की हिम्मत कैसे की। अभी तुमको इसका मजा चखाता हूं। भीखु ने लोमड़ की पूछ में घास का बड़ा सा पुलिंदा बांध कर उसमें आग लगा दी। लोमड़ घबरा गया।
उसने पूरी ताकत लगाई और स्वयं को आजाद कर लिया। आग की गर्मी से वह झुलसने लगा था। घबराकर इधर उधर दौड़ रहा था। वह जिधर भी जाता गेहूं की फसल में आग लग जाती। थोड़ी देर बाद लोमड़ के साथ गेहूं की फसल भी जल कर राख हो गई। अनाज का एक दाना नहीं बचा था। भीखु खड़ा खड़ा देखता रहा, कुछ नहीं कर पाया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी-कभी गुस्से की आग में जलकर सब कुछ खत्म हो जाता है। इसलिए हमें गुस्सा नहीं करना चाहिए।
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